हम्पी भी पहुंची विश्व कप फ़ाइनल में , भारत का स्वर्ण पक्का
बातुमी, जॉर्जिया में लगभग 20 दिन पहले शुरू हुआ महिला विश्व कप 2025 अब अपने आख़िरी मुक़ाबले से बस एक दिन दूर है और भारतीय खिलाड़ियों व दर्शकों के लिए सबसे सुखद व हर्ष की बात यह है कि फाइनल मुक़ाबला भारत की ही दो खिलाड़ियों के बीच खेला जाना है। भारत देश के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण है। कल हुए मुकाबले में दिव्या ने तान झोंगयी पर विजय प्राप्त कर न सिर्फ़ वर्ल्ड कप के फाइनल में जगह बनाई बल्कि महिला कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए भी क्वालीफाई कर लिया। अब सबकी निगाहें भारत की शीर्ष महिला खिलाड़ी कोनेरु हम्पी पर थीं, जिन्होंने टाई ब्रेक मुकाबलों में चीन की लेई टिंगजी पर जीत दर्ज कर फाइनल में अपनी जगह बना ली है। विश्व कप का फाइनल मुक़ाबला दोनों भारतीय खिलाड़ियों दिव्या देशमुख और कोनेरु हम्पी के बीच 26 जुलाई को खेला जाएगा। फाइनल की बाज़ी कोई भी जीते, जीत भारत की ही होगी यह निश्चित है। इतिहास में पहली बार भारत ने शतरंज विश्व कप में पहला और दूसरा स्थान सुनिश्चित कर लिया है और अब दोनों ही भारतीय खिलाड़ी महिला कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए भी क्वालिफाई कर चुकी हैं। पढ़े देवांश सिंह का यह लेख, Photo: FIDE/Anna Shtourman
"अनुभव बनाम युवा जोश – दो पीढ़ियों की टक्कर फाइनल में"
महिला विश्व कप 2025 का फ़ाइनल भारतीय दर्शकों के लिए सिर्फ़ ख़ुशी का कारण नहीं बल्कि एक गहरी प्रेरणा और सीख का स्रोत भी बनने वाला है। जहां एक ओर भारत की शीर्ष महिला शतरंज खिलाड़ी कोनेरु हम्पी हैं, जिनका जन्म 1987 में हुआ था और जिन्होंने मात्र 15 वर्ष की आयु में ग्रांडमास्टर का ख़िताब अपने नाम कर लिया था। अपने लंबे और सुनहरे करियर में हम्पी ने दो बार विश्व महिला रैपिड चैंपियनशिप भी जीतकर भारत का गौरव बढ़ाया है। तो दूसरी ओर उनके सामने होंगी भारत की युवा खिलाड़ी दिव्या देशमुख, जिनका जन्म हम्पी के ग्रांडमास्टर बनने के कुछ वर्षों बाद 2005 में हुआ। यह दृश्य न केवल भारत की विविधता और क्षमता को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे एक ही देश में दो अलग-अलग पीढ़ियों की खिलाड़ी विश्व स्तर पर भारत का परचम लहरा रही हैं। इतने वर्षों से शीर्ष पर बनी हुई कोनेरु हम्पी ने आज भी अपने खेल को बखूबी बनाए रखा है, तो वहीं दिव्या देशमुख का प्रदर्शन भी अति सराहनीय हैं। अब फ़ाइनल में जीत किसी की भी हो असली विजेता तो भारत ही रहेगा, और इससे भी बढ़कर विजेता होगा भारत में मज़बूत होता शतरंज का भविष्य।
कैसी रही हम्पी की जीत
कोनेरु हम्पी जो दूसरे क्लासिकल मुक़ाबले में बस एक गलत चाल से जीत से चूक गयी थी एक नयी शुरुआत करने के लिए तैयार थी , 2019 के विश्व रैपिड में लेई पर उनकी जीत सबसे दिमाग में आज भी ताजा है और हम्पी को अब यहाँ टाईब्रेक खेलना था !
15+10 समय सीमा के दोनों ही मुकाबले ड्रा रहे थे और इन मुकाबलों के बाद दोनों ही खिलाड़ियों ने 10+10 समय सीमा के 2 मुकाबले खेले, लेई टिंगजी ने 10+10 के पहले मुकाबले में हम्पी को शिकस्त दे कर बढ़त बना ली थी पर हम्पी ने वापसी करते हुए अगली बाजी अपने नाम की।
कोनेरु हम्पी और लेई के बीच सबसे पहले 15 +10 मिनट के रैपिड मुकाबलों से टाईब्रेक शुरू हुआ जिसमें दोनों बाजियों में हम्पी नें बेहतर बचाव किया और बाजी को ड्रॉ कराया दोनों बार अच्छी स्थिति हासिल करने के बाद भी लेई हम्पी के डिफेंस को भेद नहीं पायी और स्कोर 1-1 रहा
दूसरे टाईब्रेक में 10+5 मिनट के दो मुक़ाबले होने थे , हम्पी नें पहले खेल में बेहतर स्थिति को एक भारी भूल से खो दिया और बाजी हारकर 2-1 से पीछे हो गयी पर इसके बाद अगले मुक़ाबले में उन्होने सफ़ेद मोहरो से शानदार वासपी करते हुए जीत दर्ज की और स्कोर 2-2 कर दिया ।
अब समय था 5+3 समय सीमा के टाई ब्रेक मुकाबले का और अभी तक दोनों ही खिलाड़ियों ने बराबरी बनाई हुई थी पर हम्पी ने दोनों ही मुकाबले जीत कर फाइनल में जगह पक्की कर ली।
अब वह दिव्या देशमुख से एक दिन के विश्राम के बाद फ़ाइनल मुक़ाबला खेलेंगी ।
वर्तमान विश्व रैपिड चैम्पियन हम्पी अब फीडे कैंडिडैट 2026 में जगह बनाने वाली चौंथी खिलाड़ी और दूसरे भारतीय खिलाड़ी बन गयी है , कैंडिडैट में अब तक चीन की जु जिनर , रूस की आलेक्सांदरा गोरयाचकिना भारत की दिव्या देशमुख और कोनेरु हम्पी पहुँच गयी है ।