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पार्श्वनाथ दिल्ली ओपन :: शतरंज महाकुम्भ :: एक यात्रा

by इंटरनेशनल आर्बिटर धर्मेंद्र कुमार - 12/10/2016

किसी भी देश में , किसी भी स्थान पर , किसी भी खेल को आगे बढ़ाने में जितना योगदान कोई एक अच्छा आयोजन कर सकता है उतना शायद कोई अन्य नहीं कर सकता । शतरंज जैसे खेल में कोई आयोजन करना अब भी कोई आसान कार्य नहीं है और अब से 14 साल पहले तो बिलकुल ही आसान ना था , ना तो खेल आज जितना प्रशिद्ध था और ना ही खिलाड़ियों तक जानकारी पहुंचा पाना आसान काम ऐसे में भारत की राजधानी  दिल्ली में शुरुआत हुई एक प्रतियोगिता की जिसकी इनाम राशि रखी गयी कुल 3 लाख आज उसी प्रतियोगिता के सिर्फ एक वर्ग का प्रथम पुरुष्कार 4 लाख रुपेय है और कुल 51,51,000/-रुपेय !! जब प्रतियोगिता की शुरुआत हुई उस समय दिल्ली में कोई ग्रांड मास्टर ना था और इसी प्रतियोगिता नें खेल को ऐसा बढ़ावा दिया की आज दिल्ली परिमार्जन ,अभिजीत ,श्रीराम ,वैभव ,सहज ,आर्यन ,तनिया जैसे नामी ग्रांड मास्टरों का शहर कहलाता है । भारतीय शतरंज के इस  आयोजन के 15 संस्करण के मौके पर अंतर्राष्ट्रीय निर्णायक धर्मेंद्र कुमार की यह शानदार रिपोर्ट पढे ..

 

आज से चौदह साल पहले ,दिल्ली में पार्श्वनाथ रेटिंग शतरंज टूर्नामेंट का पहला आयोजन हुआ। कुल इनामी राशि 3 लाख रुपये। 10 ग्रैंडमास्टरों और 19 अंतराष्ट्रीयमास्टरों सहित कुल 273 खिलाडियों ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया था। वो दिन और आज का दिन । जनवरी 2017 में इस प्रतियोगिता का 15वां संस्करण आयोजित होगा।

डेढ़ दशक की इस अनवरत यात्रा में इस प्रतियोगिता ने अंतराष्ट्रीय स्तर पर नए मानक स्थापित किये। बापू समाज केंद्र से शुरू हुआ ये सफर लुडलो कैसल के विशाल सभागार तक पहुंच गया। तीन लाख की इनामी राशि आज 51 लाख 51 हज़ार तक पहुंच गई।

प्रतियोगिता की गोद से अनगिनत मास्टर और ग्रैंड मास्टर देश को मिले। उस समय तक दिल्ली में एकमात्र इंटरनेशनल मास्टर श्रीराम झा थे ।

पहले पार्स्वनाथ टूर्नामेंट में शिवनन्दा को परास्त करते आठ वर्षीय सहज ग्रोवर

वर्तमान सितारे ग्रैंड मास्टर परिमार्जन नेगी 2103 और सहज ग्रोवर 1924 के रेटिंग के साथ अपने आयु वर्ग के उभरते खिलाडी थे।

2003 में हरिकृष्णा रमेश को ग्रांड मास्टर बनने की बधाई देते हुए क्या आप बता सकते है की बीच में दिख रहा यह प्यारा बालक कौन है ? पहचानने की कोशिश करिए इस लेख के अंत में हम आपको जबाब बताते है । 

आरबी रमेश नें जीता था पहला खिताब अपने नाम किया था और देखे आज रमेश भारतीय शतरंज के द्रोणाचार्य बन चुके है !!

आर बी रमेश ने अपना अंतिम और इस प्रतियोगिता का पहला ग्रैंडमास्टर नॉर्म पाया। तब से अबतक इस प्रतियोगिता से नॉर्म पाने वाले खिलाड़ियों की लंबी फेहरिश्त बन चुकी है। बदलते समय के साथ प्रतियोगिता का आकार प्रकार दोनों बदलता गया।

छह बार के राष्ट्रीय विजेता ग्रांड मास्टर सूर्य शेखर गांगुली पार्श्वनाथ दिल्ली ओपन के दौरान 

खिलाड़ियों की संख्या इसकी प्रसिद्धि के साथ साथ बढ़ती गई। फीड रेटिंग का न्यूनतम स्तर 1000 तक आ चुका था। शीर्ष और न्यूनतम रेटिंग वाले खिलाड़ियों के बीच रेटिंग अंको का फासला बढ़ने लगा।

 

पारसनाथ टूर्नामेंट के दौरान हम्पी से मुक़ाबला करते सी प्रवीण कुमार 

नॉर्म के लिए खेल रहे खिलाडियों को ध्यान में रखते हुए अपने तकनीकी विशेषज्ञों से सलाह कर आयोजकों ने प्रथम तीन चक्रों में पेयरिंग को एक्सीलेरेट करने का फैसला किया। लेकिन खिलाडियों की बढ़ती संख्या और गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए अंततः सन 2015 में आयोजकों ने इसे तीन विभिन्न रेटिंग वर्गों में आयोजित करने का फैसला किया।

एक अच्छा आयोजन ही भविष्य के खिलाड़ी तैयार करता है जैसे आज ये चेहरा परिचय का मोहताज नहीं है 

कौन हैं ये प्यारे बच्चे हमे इस लेख के अंत में लिखकर बताए हो सकता है आपको कोई पुरुष्कार मिल जाए !!

इसकी प्रसिद्धि के साथ दिल्ली के खिलाड़ियों की न सिर्फ संख्या बढ़ी अपितु युवा ग्रैंड मास्टरों की पीढ़ी तैयार होती गई। भारतीय उपमहाद्वीप में इस प्रतियोगिता में भाग लेना एक उपलब्धि के समान माना जाने लगा।

परिमार्जन ने भी इसी प्रतियोगिता से अपना ग्रांड मास्टर नोर्म हासिल किया वह  श्री प्रदीप जैन पारसनाथ ग्रुप के प्रमुख के साथ 

40 साल पहले एक युवा नें शतरंज खेलना शुरू किया !! और आज भारत नें भारत बदल दिया !!

प्रतियोगिता संस्थापक आयोजक भरत सिंह चौहान ने अपने सपने को मूर्त किया। एक सपना जो असम्भव सरीखे था। डेढ़ दशकों की इस लंबी यात्रा में अपने चाहनेवाले शुभेच्छुओं और योग्य , भरोसेमंद , साथियों के दम पर भारतीय शतरंज को पार्स्वनाथ जैसे दमदार शानदार प्रतियोगिता प्रदान की।

अपनी नवीनता और मेजबानी के लिए प्रसिद्ध इस प्रतियोगिता में जनवरी की सर्द सुबह में भी हज़ारों की भीड़ देखी जा सकती है। प्रतियोगिता का बढ़ता आकार , आयोजकों का बेहद पेशेवर अंदाज़ , भरत सिंह चौहान का समर्पण और इनकी टीम की रात दिन की अथक मेहनत इस प्रतियोगिता के सफलता के मूल में है। संक्षेप में कहूँ , तो यदि आप शतरंज के खिलाडी हैं , शतरंज के दीवाने हैं और आपने अब तक इस प्रतियोगिता में भाग नही लिया तो आपसे कुछ छूट रहा है।

 

2014 के विजेता ग्रांड मास्टर अभिजीत गुप्ता 

2015 के विजेता ग्रांड मास्टर  बार्यशपोलेट्स 

पिछले वर्ष के विजेता ग्रांड मास्टर इयान पोपोव !!


2017 का संस्करण के लिए अब सिर्फ 3 महीने का समय है 51 लाख का पुरुष्कार आपका इंतजार कर रहे है !!

इतनी बड़ी पुरुष्कार राशि वाला यह भारत शतरंज इतिहास का पहला टूर्नामेंट है 

2000 से ज्यादा रेटिंग के खिलाड़ी ग्रुप ए में खेल सकते है जिसकी कुल पुरुष्कार राशि 18,17,000/- है 

2000  से कम  रेटिंग के खिलाड़ी ग्रुप ए में खेल सकते है जिसकी कुल पुरुष्कार राशि 17,17,000/- है 

1600  से कम  रेटिंग के खिलाड़ी ग्रुप सी  में खेल सकते है जिसकी कुल पुरुष्कार राशि 16,17,000/- है 

 

 

 आधिकारिक वैबसाइट 

 

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तो दिल्ली अब दूर नहीं है !! अपनी टिकट बुक करा लीजिए !!

 

इस लेख के लेखक अंतर्ष्ट्रीय आर्बिटर है ।  श्री धर्मेंद्र कुमार जी मूलतः पटना बिहार के रहने वाले है भारतवर्ष में बेहद सम्मानित और अनुभवी निर्णायकों में उनकी गिनती होती है वे प्रकर्ति के प्रेमी है और शतरंज खेल से बेहद प्यार करते है ,भारत के हर नए राज्य में जाना उसकी प्रकर्तिक सौन्दर्य को देखना संस्कृति को समझना उनका मुख्य शौक है 

जाते जाते देखे कौन था - भावी ग्रांड मास्टर अभिजीत गुप्ता ,ये लेख द हिन्दू में श्री राकेश राव जी के लेख में प्रकाशित हुआ था !!

 

 

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